लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं's image
1 min read

लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं

Rahat IndoriRahat Indori
0 Bookmarks 102 Reads0 Likes

लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं

मैं न जुगनू हूँ, दिया हूँ न कोई तारा हूँ
रोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं

नींद से मेरा त'अल्लुक़ ही नहीं बरसों से
ख्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यों हैं

मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए
और सब लोग यहीं आके फिसलते क्यों हैं

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts