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पछताने से क्या हासिल पछताने से क्या होगा
कुछ तू ने किया होगा कुछ तुझ से हुआ होगा
जीने का मज़ा जब है जीने का हो कुछ हासिल
यूँ लाख जिए कोई तो जीने से क्या होगा
पुर्सिश की नहीं हाजत पुर्सिश की ज़रूरत क्या
मा'लूम है सब तुझ को जो कुछ भी हुआ होगा
जब तक है ख़ुदी दिल में होगी न पज़ीराई
बे-कार हैं ये सज्दे इन सज्दों से क्या होगा
जैसी भी गुज़रती है ऐ 'राज़' गुज़रती है
आग़ाज़-ए-मोहब्बत है अंजाम में क्या होगा
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