
0 Bookmarks 119 Reads0 Likes
रक़्स करने का मिला हुक्म जो दरियाओं में
हमने ख़ुश होके भँवर बाँध लिये पावों में
उन को भी है किसी भीगे हुए मंज़र की तलाश
बूँद तक बो न सके जो कभी सहराओं में
ऐ मेरे हम-सफ़रों तुम भी थाके-हारे हो
धूप की तुम तो मिलावट न करो चाओं में
जो भी आता है बताता है नया कोई इलाज
बट न जाये तेरा बीमार मसीहाओं में
हौसला किसमें है युसुफ़ की ख़रीदारी का
अब तो महंगाई के चर्चे है ज़ुलैख़ाओं में
जिस बरहमन ने कहा है के ये साल अच्छा है
उस को दफ़्नाओ मेरे हाथ की रेखाओं में
वो ख़ुदा है किसी टूटे हुए दिल में होगा
मस्जिदों में उसे ढूँढो न कलीसाओं में
हम को आपस में मुहब्बत नहीं करने देते
इक यही ऐब है इस शहर के दानाओं में
मुझसे करते हैं "क़तील" इस लिये कुछ लोग हसद
क्यों मेरे शेर हैं मक़बूल हसीनाओं में
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments