मिरा ख़ामोश रह कर भी उन्हें सब कुछ सुना देना's image
1 min read

मिरा ख़ामोश रह कर भी उन्हें सब कुछ सुना देना

Qamar JalaviQamar Jalavi
0 Bookmarks 125 Reads0 Likes

मिरा ख़ामोश रह कर भी उन्हें सब कुछ सुना देना

ज़बाँ से कुछ न कहना देख कर आँसू बहा देना

नशेमन हो न हो ये तो फ़लक का मश्ग़ला ठहरा

कि दो तिनके जहाँ पर देखना बिजली गिरा देना

मैं इस हालत से पहुँचा हश्र वाले ख़ुद पुकार उठ्ठे

कोई फ़रियाद वाला आ रहा है रास्ता देना

इजाज़त हो तो कह दूँ क़िस्सा-ए-उल्फ़त सर-ए-महफ़िल

मुझे कुछ तो फ़साना याद है कुछ तुम सुना देना

मैं मुजरिम हूँ मुझे इक़रार है जुर्म-ए-मोहब्बत का

मगर पहले तो ख़त पर ग़ौर कर लो फिर सज़ा देना

हटा कर रुख़ से गेसू सुब्ह कर देना तो मुमकिन है

मगर सरकार के बस में नहीं तारे छुपा देना

ये तहज़ीब-ए-चमन बदली है बैरूनी हवाओं ने

गरेबाँ-चाक फूलों पर कली का मुस्कुरा देना

'क़मर' वो सब से छुप कर आ रहे हैं फ़ातिहा पढ़ने

कहूँ किस से कि मेरी शम-ए-तुर्बत को बुझा देना

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts