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अपयश के कितने मुहावरे हैं उसके नाम
लंबी, काली, चटोरी और क्या- क्या
अपनी मर्जी से क्या कर सकती है जीभ
दांतों की इजाजत न हो तो घर से बाहर झांक भी नहीं सकती है
दिमाग जितना आदेश करे
उतना ही वह हिलती है
पेट की जरूरत पर
स्वाद उस तक पहुंचाती है
देह के किसी हिस्से को
तकलीफ हो
सबसे पहले उसका रंग उतर जाता है
तभी तो देख लेते हैं डॉक्टर
जीभ के चेहरे पर देह के दर्द के निशान
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