आंखें's image
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आंखे देखती हैं एक पल
उसके बाद सोचती हैं
फिर खर्चती है समय
पहचानने और परखने में
यह तय करने में
थोड़ा और वक्त लगाती हैं कि
होंठों को कहां तक और कितना
बताने की अनुमति दी जाए
आंखों की देखने से होंठों के बोलने तक की यात्रा
एक रियाज है
सुर-लय-ताल के साथ निर्वाह की
दरअसल कहीं कुछ भी बिखरा तो
बेसुरा हो जाता है जीवन

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