
0 Bookmarks 38 Reads0 Likes
प्रथम गोचारण चले कन्हाई।
माथे मुकुट पीतांबर की छबी वनमाला पहराइ ॥१॥
कुंडल श्रवण कपोल बिराजत, सुंदरता बनि आइ ।
घर घरतें सब छाक लेत हे संग सखा सुखदाइ ॥२॥
आगें धेनु हांक लीनी पाछे मुरली बजाइ।
परमानंद प्रभु मनमोहन ब्रज बासिन सुरत कराइ॥३॥
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments