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कौन रसिक है इन बातन कौ।
नंद-नंदन बिन कासों कहिये, सुन री सखी मेरो दु:ख या मन कौ।
कहँ वह जमुना पुलिन मनोहर, कहँ वह चंद सरद रातिन कौ।
कहँ वह मँद सुगंध अमल रस, कहँ वह षटपद जलजातन कौ।
कहँ वह सेज पौढिबो बन को, फूल बिछौना मदु पातन कौ।
कहँ वह दरस परस 'परमानंद' कोमल तन कोमल गातन कौ॥
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