शरण में जनन, जननि's image
1 min read

शरण में जनन, जननि

NiaralaNiarala
0 Bookmarks 69 Reads0 Likes

शरण में जनन, जननि

नगिनित आ गये शरण में जन, जननि-
सुरभि-सुमनावली खुली, मधुऋतु अवनि!
स्नेह से पंक - उर हुए पंकज मधुर,
ऊर्ध्व - दृग गगन में देखते मुक्ति-मणि!
बीत रे गयी निशि, देश लख हँसी दिशि,
अखिल के कण्ठ की उठी आनन्द-ध्वनि।

 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts