मरा हूँ हजार मरण's image
1 min read

मरा हूँ हजार मरण

NiaralaNiarala
0 Bookmarks 119 Reads0 Likes

मरा हूँ हजार मरण
पाई तब चरण-शरण ।

फैला जो तिमिर जाल
कट-कटकर रहा काल,
आँसुओं के अंशुमाल,
पड़े अमित सिताभरण ।

जल-कलकल-नाद बढ़ा
अन्तर्हित हर्ष कढ़ा,
विश्व उसी को उमड़ा,
हुए चारु-करण सरण ।

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts