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“अँधेरा पंख पसार रहा है
पर मेरी भी एक ज़िद्द है;
अपने भीतर की रौशनी लिए
चलूँगी जहाँ तक हद्द है!”
“कब तक
उदासी और नाउम्मीदगी रुलाएगी?
राहों पर निकल पड़े हैं
तो मंजिल भी मिल जायेगी!”
“मन पर ऐतबार करना सीखो,
खुद से प्यार करना सीखो,
भला खुद को खुद से धोखा हुआ है कभी?
ख़ुदा में खुद को और खुद को ख़ुदा में देखो...”
“पास कुछ भी नहीं मगर
आँखों में रौशनी के दिये हैं;
हम तो यारों हरदम
ऐसे ही जिए हैं...”
“न जाने कश्तियाँ
क्यूँ ढूँढती हैं किनारा;
तूफानों से लड़ने का मज़ा
कुछ और ही है!”
“झुर्रियाँ पड़ जाती हैं रिश्तों में,
बाल सफ़ेद पड़ जाते हैं;
गर उन्हें संभालकर न रखा जाए,
तो वो वक्त से पहले सिकुड़ जाते हैं!”
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