ये छपके का जो बाला कान में अब तुम ने डाला है's image
1 min read

ये छपके का जो बाला कान में अब तुम ने डाला है

Nazeer AkbarabadiNazeer Akbarabadi
0 Bookmarks 110 Reads0 Likes

ये छपके का जो बाला कान में अब तुम ने डाला है

इसी बाले की दौलत से तुम्हारा बोल-बाला है

नज़ाकत सर से पाँव तक पड़ी क़ुर्बान होती है

इलाही उस बदन को तू ने किस साँचे में ढाला है

ये दिल क्यूँकर निगह से उस की छिदते हैं मैं हैराँ हूँ

न ख़ंजर है न नश्तर है न जमधर है न भाला है

बलाएँ नाग काले नागिनें और साँप के बच्चे

ख़ुदा जाने कि इस जूड़े में क्या क्या बाँध डाला है

न ग़ोल आता है ख़ूबाँ का सरक ऐ दिल मैं कहता हूँ

ये कम्पू की नहीं पलटन ये परियों का रिसाला है

जिसे तुम ले के बेदर्दी से पाँव में कुचलते हो

ये दिल मैं ने तो ऐ साहब बड़ी मेहनत से पाला है

'नज़ीर' इक और लिख ऐसी ग़ज़ल जो सुन के जी ख़ुश हो

अरी इस ढब की बातों ने तो दिल में शोर डाला है

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts