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जुदा किसी से किसी का ग़रज़ हबीब न हो

Nazeer AkbarabadiNazeer Akbarabadi
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जुदा किसी से किसी का ग़रज़ हबीब न हो

ये दाग़ वो है कि दुश्मन को भी नसीब न हो

जुदा जो हम को करे उस सनम के कूचे से

इलाही राह में ऐसा कोई रक़ीब न हो

इलाज क्या करें हुकमा तप-ए-जुदाई का

सिवाए वस्ल के इस का कोई तबीब न हो

'नज़ीर' अपना तो मा'शूक़ ख़ूबसूरत है

जो हुस्न उस में है ऐसा कोई अजीब न हो

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