0 Bookmarks 90 Reads0 Likes
है अब तो ये धुन उस से मैं आँख लड़ा लूँगा
और चूम के मुँह उस का सीने से लगा लूँगा
गर तीर लगावेगा पैहम वो निगह के तो
मैं उस की जराहत को हँस हँस के उठा लूँगा
दिल जाते उधर देखा जब मैं ने 'नज़ीर' उस को
रोका अरे वो तुझ को लेगा तो मैं क्या लूँगा
वाँ अबरू-ओ-मिज़्गाँ के हैं तेग़-ओ-सिनाँ चलते
टुक सोच तो मैं तुझ को किस किस से बचा लूँगा
पड़ जावेगी जब शह वो ऐ दिल तो भला फिर मैं
क्या आप को थामूँगा क्या तुझ को सँभालूँगा
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments