
0 Bookmarks 96 Reads1 Likes
पारदर्शी नील जल में सिहरते शैवाल
चाँद था, हम थे, हिला तुमने दिया भर ताल
क्या पता था, किन्तु, प्यासे को मिलेंगे आज
दूर ओठों से, दृगों में संपुटित दो नाल ।
No posts
No posts
No posts
No posts
पारदर्शी नील जल में सिहरते शैवाल
चाँद था, हम थे, हिला तुमने दिया भर ताल
क्या पता था, किन्तु, प्यासे को मिलेंगे आज
दूर ओठों से, दृगों में संपुटित दो नाल ।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments