हरित फौवारों सरीखे धान's image
1 min read

हरित फौवारों सरीखे धान

Namvar SinghNamvar Singh
0 Bookmarks 127 Reads0 Likes

हरित फौवारों सरीखे धान
हाशिये-सी विंध्य-मालाएँ
नम्र कन्धों पर झुकीं तुम प्राण
सप्तवर्णी केश फैलाए

जोत का जल पोंछती-सी छाँह
धूप में रह-रहकर उभर आए
स्वप्न के चिथड़े नयन-तल आह
इस तरह क्यों पोंछते जाएँ ?

 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts