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सहें कब तक जफ़ाएँ बेवफ़ाई देखने वाले

Muztar KhairabadiMuztar Khairabadi
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सहें कब तक जफ़ाएँ बेवफ़ाई देखने वाले

कहाँ तक जान पर खेलें जुदाई देखने वाले

तिरे बीमार-ए-ग़म की अब तो नब्ज़ें भी नहीं मिलतीं

कफ़-ए-अफ़सोस मलते हैं कलाई देखने वाले

ख़ुदा से क्यूँ न माँगें क्यूँ करें मिन्नत अमीरों की

ये क्या देंगे किसी को आना-पाई देखने वाले

बुतों की चाह बनती है सबब इश्क़-ए-इलाही का

ख़ुदा को देख लेते हैं ख़ुदाई देखने वाले

महीनों भाई-बंदों ने मिरा मातम किया 'मुज़्तर'

महीनों रोए ख़ाली चारपाई देखने वाले

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