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अज़ल थे है मुजे ख़ूबाँ सूँ इख़्लास

Muhammad Quli Qutb ShahMuhammad Quli Qutb Shah
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अज़ल थे है मुजे ख़ूबाँ सूँ इख़्लास

अबद लग मुज है महबूबाँ सूँ इख़्लास

अगर तूँ आशिक़-ए-सादिक़ है तालिब

न कर तूँ बाज मतलूबाँ सूँ इख़्लास

सकी का हुस्न कीता जज़्ब-ए-मौलूद

उसी ते मुज है मज्ज़ूबाँ सूँ इख़्लास

पियारी के छंदाँ है सब कूँ मर्ग़ूब

मुजे लाज़िम है मरग़ूबाँ सूँ इख़्लास

जो है मक्तूब मानिंद ख़ाल-ओ-ख़त सूँ

धरूँ मैं उस थे मकतूबाँ सूँ इख़्लास

नयन नारी के क़ुल्लाबे हैं मशहूर

धरूँ मैं उस थे मक़लूबाँ सूँ इख़्लास

नबी सदक़े क़ुतुब-शह कम-जिहत

सदा धरता है तू ख़ूबाँ सूँ इख़्लास

 

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