तू ऐ असीर's image
1 min read

तू ऐ असीर

Muhammad IqbalMuhammad Iqbal
0 Bookmarks 81 Reads0 Likes

तू ऐ असीर-ए-मकाँ ला-मकाँ से दूर नहीं

वो जल्वा-गाह तिरे ख़ाक-दाँ से दूर नहीं

वो मर्ग़-ज़ार कि बीम-ए-ख़िज़ाँ नहीं जिस में

ग़मीं न हो कि तिरे आशियाँ से दूर नहीं

ये है ख़ुलासा-ए-इल्म-ए-क़लंदरी कि हयात

ख़दंग-ए-जस्ता है लेकिन कमाँ से दूर नहीं

फ़ज़ा तिरी मह ओ परवीं से है ज़रा आगे

क़दम उठा ये मक़ाम आसमाँ से दूर नहीं

कहे न राह-नुमा से कि छोड़ दे मुझ को

ये बात राह-रव-ए-नुक्ता-दाँ से दूर नहीं

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts