इस राज़ को इक's image
1 min read

इस राज़ को इक

Muhammad IqbalMuhammad Iqbal
0 Bookmarks 94 Reads0 Likes

इस राज़ को इक मर्द-ए-फ़रंगी ने किया फ़ाश

हर-चंद कि दाना इसे खोला नहीं करते

जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिस में

बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts