
0 Bookmarks 67 Reads0 Likes
दुकान के कोने से आयी एक आवाज़
ले जाओ यह मुफ़्त है !
किताबों के साये में वह
दोपहर की छाया की तरह
अविचल मुझे भाँपता
अगर चाहो तो ले जाओ वह बोला
युद्ध की पुस्तकों का सूचीपत्र मुझे उलटते देख
दूसरे महायुद्ध पर इतनी पुस्तकें
कहानियाँ संस्मरण इतिहास और चित्र-
बच्चों पर तनी बंदूकें भी हो चुकी हैं कला
काले सफेद चित्रों में
इतने शब्द केवल एक बीते युद्ध के बारे में
अगर ऐसा फिर हो तो क्या फिर छपेंगी
इतनी ही किताबें
शायद नहीं, नहीं कहकर हँस पड़ा मेरे प्रश्न पर वह
चल रही है तैयारी फिर से...
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments