सौ दिन's image
1 min read

सौ दिन

Mohan RanaMohan Rana
0 Bookmarks 121 Reads0 Likes


और यह सदी यह बरस

यह पल जिसमें लिखे जा रहा हूँ मैं ये शब्द

बीत जाएँगे

पर ये शब्द ही लौटाएँगे मुझे और तुम्हें एक साथ

कभी अकेले

उतरती हुई रात के गुमसुम इस पहर में

प्रतीक्षा करते हुए इसके बीतने की

इसके चले जाने के

पर कहीं और भी न जाऊँगा मैं


माचिस की डिबिया में अंतिम

सौ तिल्लियाँ हैं ये सौ दिन

इन्हें बचा के रख लूँ कभी सोचता हूँ

सदी को बीतना ही है

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts