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सरहद पे जो वर्दी खाखी थी अब उसका रंग सफेद हुआ
नन्ही सी हँसी
भोली सी खुशी
फूलों सी वो बाहें भूल गये
जब देश ने दी आवाज़ हमें
हम घर की राहें भूल गये
हम सोए नहीं कई रातों से
आए जान-ए-वतन सौ चाँद बुझे
हमें नींद उसी दिन आएगी
जब देखेंगे आबाद तुझे
तेरी मिट्टी में मिल जावाँ
गुल बनके मैं खिल जावाँ
इतनी सी है दिल की आरज़ू
तेरी नदियों मे बह जावां
तेरे खेतों मे लहरावाँ
इतनी सी है दिल की आरज़ू
मजबूर हुई जब दिल की दुआ
तो हमने दवा से काम लिया
वो नब्ज़ नहीं फिर थमने दी
जिस नब्ज़ को हमने थाम लिया
बीमार है जो किस धर्म का है
हमसे ना कभी ये भेद हुआ
सरहद पे जो वर्दी खाखी थी
अब उसका रंग सफेद हुआ
तेरी मिट्टी मे मिल जावाँ
गुल बनके मैं खिल जावाँ
इतनी सी है दिल की आरज़ू
तेरी नदियों मे बह जावाँ
तेरे खेतों मे लहरावाँ
इतनी सी है दिल की आरज़ू
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