ना वह रीझै जप तप कीन्हे's image
1 min read

ना वह रीझै जप तप कीन्हे

Maluk DasMaluk Das
0 Bookmarks 135 Reads0 Likes

ना वह रीझै जप तप कीन्हे, ना आतमका जारे।
ना वह रीझै धोती टाँगे, ना कायाके पखाँरे॥
दाया करै धरम मन राखै, घरमें रहे उदासी।
अपना-सा दुख सबका जानै, ताहि मिलै अबिनासी॥
सहै कुसब्द बादहूँ त्यागै, छाँड़े, गरब गुमाना।
यही रीझ मेरे निरंकारकी, कहत मलूक दिवाना॥

 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts