0 Bookmarks 139 Reads0 Likes
ये कौन आता है तन्हाइयों में जाम लिए
जिलों में चाँदनी रातों का एहतमाम लिए
चटक रही है किसी याद की कली दिल में
नज़र में रक़्स-ए बहाराँ की सुबहो शाम लिए
हुजूमे बादा-ओ-गुल में हुजूमे याराँ में
किसी निगाह ने झुक कर मेरे सलाम लिए
किसी क़्याल की ख़ुशबू किसी बदन की महक
दर-ए-कफ़स पे खड़ी है सबा पयाम लिए
महक-महक के जगाती रही नसीम-ए-सहर
लबों पे यारे मसीहा नफ़स का नाम लिए
बजा रहा था कहीं दूर कोई शहनाई
उठा हूँ, आँखों में इक ख़्वाब-ए नातमाम लिए
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments