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अच्छी तरह याद है
तब तेरह दिन लगे थे ट्रेन से
साइबेरिया के मैदानों को पार करके
मास्को से बाइजिंग तक पहुँचने में।
अब केवल सात दिन लगते हैं
उसी फ़ासले को तय करने में −
हवाई जहाज से सात घंटे भी नहीं लगते।
पुराने ज़मानों में बरसों लगते थे
उसी दूरी को तय करने में।
दूरियों का भूगोल नहीं
उनका समय बदलता है।
कितना ऐतिहासिक लगता है आज
तुमसे उस दिन मिलना।
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