नयन मूँदे अन्तर में तत्क्षण बही जाह्नवी वरुणा's image
1 min read

नयन मूँदे अन्तर में तत्क्षण बही जाह्नवी वरुणा

Kuber Nath RaiKuber Nath Rai
0 Bookmarks 130 Reads0 Likes

नयन मूँदे अन्तर में तत्क्षण बही जाह्नवी वरुणा
शिरा-शिरा में प्रति धमनी में बूँद-बूँद मेरी पहचानी
मेरे अन्तर में जब जागा सहज चेतना का अभिमानी
कथा डुबोती नहीं तुम्हारी निर्मम विगलित करुणा।

भाई पलभर ठहरो मन का दुर्ग टूटता गिरता
कच्चे घट में स्नेहधार में तिरता प्रतिपल गलता
यह करुणा है ऐसी जिससे जग की दुखती रग को
आराम मिले लेकिन अपना तो अस्तित्व गला
रहा नहीं मैं वही दाँव आखिरी था जिसको
हार चुका, तुम हँसे और मैं खाली हाथ चला।

[असमाप्त, 1962]

 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts