
0 Bookmarks 67 Reads0 Likes
तरणि तनया तीर आवत हें प्रात समे गेंद खेलत देख्योरी आनंद को कंदवा।
काछिनी किंकणि कटि पीतांबर कस बांधे लाल उपरेना शिर मोरन के चंदवा॥१॥
पंकज नयन सलोल बोलत मधुरे बोल गोकुल की सुंदरी संग आनंद स्वछंदवा।
कृष्णदास प्रभु गिरिगोवर्धनधारी लाल चारु चितवन खोलत कंचुकी के बंदवा॥२॥
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments