कंचन मनि मरकत रस ओपी's image
1 min read

कंचन मनि मरकत रस ओपी

KrishnadasKrishnadas
0 Bookmarks 161 Reads0 Likes

कंचन मनि मरकत रस ओपी।
नन्द सुवन के संगम सुखकर अधिक विराजति गोपी।।
मनहुँ विधाता गिरिधर पिय हित सुरतधुजा सुख रोपी।
बदनकांति कै सुन री भामिनी! सघन चन्दश्री लोपी।।
प्राणनाथ के चित चोरन को भौंह भुजंगम कोपी।
कृष्णदास स्वामी बस कीन्हे,प्रेम पुंज को चोपी।।

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts