0 Bookmarks 98 Reads0 Likes
जैसे हर किसी को रोज का खाना चाहिए
नारी को चाहिए अपना अधिकार
कलाकार को चाहिए रंग और अपनी तूलिका
उसी तरह
हमारे समय के संकट को चाहिए
एक विचार धारा
और एक अह्वान:-
अंतहीन संघर्षों, अनंत उत्तेजनाओं,
सपनों में बंधे
मत ढलो यथास्थिति के अनुसार
मोड़ो दुनिया को अपनी ओर
समा लो अपने भीतर
समस्त ज्ञान
घुटनों के बल मत रेंगों
उठो-
गीत, कला और सच्चाइयों की
तमाम गहराइयों की थाह लो
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments