जीवन लक्ष्य's image
1 min read

जीवन लक्ष्य

Karl MarxKarl Marx
0 Bookmarks 382 Reads0 Likes

कठिनाइयों से रीता जीवन
मेरे लिए नहीं,
नहीं, मेरे तूफानी मन को यह स्वीकार नहीं।
मुझे तो चाहिये एक महान ऊँचा लक्ष्य
और उसके लिए उम्र भर संघर्षों का अटूट क्रम ।
ओ कला ! तू खोल
मानवता की धरोहर, अपने अमूल्य कोषों के द्वार
मेरे लिए खोल !
अपनी प्रज्ञा और संवेगों के आलिंगन में
अखिल विश्व को बाँध लूँगा मैं!
आओ,
हम बीहड़ और कठिन सुदूर यात्रा पर चलें
आओ, क्योंकि-
छिछला, निरुद्देश्य और लक्ष्यहीन जीवन
हमें स्वीकार नहीं।
हम, ऊँघते कलम घिसते हुए
उत्पीड़न और लाचारी में नहीं जियेंगे ।
हम-आकांक्षा, आक्रोश, आवेग, और
अभिमान में जियेंगे !
असली इन्सान की तरह जियेंगे ।

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts