0 Bookmarks 158 Reads0 Likes
मुँह फकीरों से न फेरा चाहिए
ये तो पूछा चाहिए क्या चाहिए
चाह का मेयार ऊँचा चाहिए
जो न चाहें उन को चाह चाहिए
कौन चाहे है किसी को बे-गरज
चाहने वालों से भागा चाहिए
हम तो कुछ चाहें हैं तुम चाहो हो कुछ
वक्त क्या चाहे है देखा चाहिए
चाहते हैं तेरे ही दामन की खैर
हम हैं दीवाने हमें क्या चाहिए
बे-रूखी भी नाज़ भी अंदाज भी
चाहिए लेकिन न इतना चाहिए
हम जो कहना चाहते हैं क्या कहें
आप कह लीजिए जो कहना चाहिए
बात चाहे बे-सलीका हो ‘कलीम’
बात कहने का सलीका चाहिए
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments