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बला से कोई हाथ मलता रहे

Josh MalsiyaniJosh Malsiyani
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बला से कोई हाथ मलता रहे

तिरा हुस्न साँचे में ढलता रहे

हर इक दिल में चमके मोहब्बत का दाग़

ये सिक्का ज़माने में चलता रहे

वो हमदर्द क्या जिस की हर बात में

शिकायत का पहलू निकलता रहे

बदल जाए ख़ुद भी तो हैरत है क्या

जो हर रोज़ वादे बदलता रहे

मिरी बे-क़रारी पे कहते हैं वो

निकलता है दम तो निकलता रहे

 

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