Couplets By Dr. Hariom's image
2 min read

Couplets By Dr. Hariom

HariomHariom
0 Bookmarks 1883 Reads1 Likes
आज शाख़ों पे परिंदे चुप हैं
आज मौसम उदास लगता है

दूर रहकर भी पास लगता है
तू मेरे साथ साथ लगता है

तुम्हारे पास जो मिट्टी सा एक लम्हा है
हमारे पास वो मोती है यादगारों में

वो मुझको देखके संजीदा समझता होगा
मैं कैसे इल्तिजा-ए-इश्क़ की नादानी करूँ

बड़ी अजीब है दश्त-ओ-चमन की ख़ामोशी
मैं कैसे बोलते पेड़ों की बाग़बानी करूँ

कभी ये ज़िद कि करूँ ख़ुद को हवाले उसके
कभी ये शौक़ कि उससे ही बदगुमानी करूँ

कभी ये ज़िद कि करूँ ख़ुद को हवाले उसके
कभी ये शौक़ कि उससे ही बदगुमानी करूँ

तुम्हारी नाक पे रहता है एक ऐसा नमक
ज़ुबां से छूते ही मिसरी में बदल जाता है

आपने वादा किया है वाह वाह
आपका कितना बड़ा एहसान है

झूठ की बाज़ीगरी की सामने
सच बहुत बेबस बड़ा हलकान है

हैं ईसाई हिंदू मुस्लिम सिक्ख सब
जो नदारद है वो हिंदुस्तान है

इल्मो-फ़न हो या कि फिर तहज़ीब हो
आजकल हर चीज़ की दूकान है

जितनी चीजें थीं वो सब महँगी हुईं
और जो सस्ता है वो इंसान है

ग़रीबों और मज़लूमों को तुम कमज़ोर मत समझो
परिंदे चोंच से मज़बूत कट्ठे फोड़ देते हैं

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts