0 Bookmarks 129 Reads0 Likes
शाम से आज साँस भारी है
बे-क़रारी सी बे-क़रारी है
आप के बा'द हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
रात को दे दो चाँदनी की रिदा
दिन की चादर अभी उतारी है
शाख़ पर कोई क़हक़हा तो खिले
कैसी चुप सी चमन में तारी है
कल का हर वाक़िआ' तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments