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कभी हमसे खुलो जाने के पहले

Gulab KhandelwalGulab Khandelwal
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कभी हमसे खुलो जाने के पहले
मिलें आँखें तो शरमाने के पहले

ज़रा आँसू तो थम जायें कि उनको
नज़र भर देख लें जाने के पहले

जो घायल ख़ुद हो औरों को रुलाये
शमा जलती है परवाने के पहले

मिला प्याले में जितना कुछ बहुत है
इसे पी लो भी छलकाने के पहले

ग़ज़ल यों तो बहुत सादी थी मेरी
कोई क्यों रो दिया गाने के पहले!

गुलाब! ऐसे भी क्या चुप हो गए तुम!
खिलो कुछ रात घिर आने के पहले

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