गरीबों के घर का तो मालिक खुदा है
तू अपना ही रुतबा बढ़ाता चला जा।
बग़ावत से रह दूर, जा रेडियो पर
तू जंगी तराने सुनाता चला जा।
गरीबों से क्या पाएगा तू तरक्की
अमीरों से दिल को मिलाता चला जा।
तू बच्चे से उनके मुहब्बत किए जा
हरम की हुकूमत उठाता चला जा।
ये उर्दू न हिन्दी कभी बन सकेगी
तू अपनी कमाई कमाता चला जा।
निराशा से जो छोड़ बैठे हैं जी को
उन्हें राह अपनी दिखाता चला जा।
ये मुमकिन नहीं तू हटे, हार जाए
खुशामद के बस गुल खिलाता चला जा।
अगर तुझको साहब कभी गालियाँ दें
उन्हें झेलता मुस्कराता चला जा।
अगर काम बनता है सर को झुकाए
तो सौ बार सर को झुकाता चला जा।
अगर हेड बनना है दफ्तर में तुझको,
शिकायत किए जा, सुझाता चला जा।
जहां भी अंधेरा नज़र आए तुझको
तू मौके के दीए जलाता चला जा।
तू लीडर बनेगा कहा मान मेरा,
बयानों को शाया कराता चला जा।
गुलामी से मत डर, मिनिस्टर बनेगा
कि बस, हां-में-हां तू मिलाता चला जा।
न डर देशभक्तों से, बकते हैं ये तो
कदम अपना आगे बढ़ाता चला जा।
ये अखबार वाले अगर तुझको छेड़ें
तो परवाह न कर, लड़खड़ाता चला जा।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments