आँखों को फोड़ डालूँ या दिल को तोड़ डालूँ's image
1 min read

आँखों को फोड़ डालूँ या दिल को तोड़ डालूँ

Ghulam HamdaniGhulam Hamdani
0 Bookmarks 96 Reads0 Likes

आँखों को फोड़ डालूँ या दिल को तोड़ डालूँ

या इश्क़ की पकड़ कर गर्दन मरोड़ डालूँ

यक-क़तरा ख़ूँ बग़ल में है दिल मिरी सो उस को

पलकों से तेरी ख़ातिर क्यूँ-कर निचोड़ डालूँ

वो आहू-ए-रमीदा मिल जाए तीरा-शब गर

कुत्ता बनूँ शिकारी उस को भंभोड़ डालूँ

ख़य्यात ने क़ज़ा के जामा सिया जो मेरा

आया न जी में इतना क्या इस में जोड़ डालूँ

वो संग-दिल हुआ है इक संग-दिल पे आशिक़

आता है जी में सर को पथरों से फोड़ डालूँ

बैठा हूँ ख़ाली आख़िर ऐ आँसुओ करूँ क्या

दो चार गोखरो ही लाओ न मोड़ डालूँ

तक़्सीर 'मुसहफ़ी' की होवे मुआफ़ साहिब

फ़रमाओ तो तुम्हारे ला उस को गोड़ डालूँ

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts