घंटियों की आवाज़ कानों तक पहुँचती है's image
1 min read

घंटियों की आवाज़ कानों तक पहुँचती है

Dushyant KumarDushyant Kumar
0 Bookmarks 95 Reads0 Likes

घंटियों की आवाज़ कानों तक पहुँचती है
एक नदी जैसे दहानों तक पहुँचती है

अब इसे क्या नाम दें, ये बेल देखो तो
कल उगी थी आज शानों तक पहुँचती है

खिड़कियां, नाचीज़ गलियों से मुख़ातिब है
अब लपट शायद मकानों तक पहुँचती है

आशियाने को सजाओ तो समझ लेना,
बरक कैसे आशियानों तक पहुँचती है

तुम हमेशा बदहवासी में गुज़रते हो,
बात अपनों से बिगानों तक पहुँचती है

सिर्फ़ आंखें ही बची हैं चँद चेहरों में
बेज़ुबां सूरत, जुबानों तक पहुँचती है

अब मुअज़न की सदाएं कौन सुनता है
चीख़-चिल्लाहट अज़ानों तक पहुँचती है

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts