विष कर आगर's image
1 min read

विष कर आगर

Dhani DharamdasDhani Dharamdas
0 Bookmarks 225 Reads0 Likes

सूतल मैं रहलौं सखियाँ विष कर आगर हो
सतगुरु दिहलै जगाई पाचौं सुख सागर हौ।। 1।।
जब रहली जननी के ओदर, परन सम्हारल हो
जब लौ तन में प्रान, न तोहि बिसराइब हो ।। 2।।
एक बुन्द से साहेब मन्दिल, बनावल हो
बिना नेंव के मन्दिल, बहु कल लागल हो ।। 3।।
इहवाँ गाँव न ठाँव नहीं पुर पाटन हो
नाहिन बाट बटोही नहीं हित आपन हो ।। 4।।

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts