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हम सत्त नाम के बैपारी।
कोइ-कोइ लादै काँसा पीतल, कोइ-कोइ लौंग सुपारी॥
हम तो लाद्यो नाम धनी को, पूरन खेप हमारी॥
पूँजी न टूटै नफा चौगुना, बनिज किया हम भारी॥
हाट जगाती रोक न सकिहै, निर्भय गैल हमारी॥
मोती बूँद घटहिं में उपजै, सुकिरत भरत कोठारी॥
नाम पदारथ लाद चला है, 'धरमदास बैपारी॥
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