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13) यो ध्रुवाणि परित्यज्य ह्यध्रुवं परिसेवते।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति चाध्रुवं नष्टमेव तत्।।
जो व्यक्ति किसी नाशवान वस्तु के लिए अविनाशी वस्तु को छोड़ देता है, तो उसके हाथ से अविनाशी वस्तु तो चली ही जाती है और इसमे कोई संका नहीं है की नाशवान वस्तु को भी वह खो देता है।
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