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6) आपदर्थे धनं रक्षेद् दारान् रक्षेद् धनैरपि।
आत्मानं सततं रक्षेद् दारैरपि धनैरपि।।
व्यक्ति को आने वाली मुसीबतो का सामना करने के लिए धन संचय करना चाहिए। उसे धन-सम्पदा त्यागकर भी अपनी पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए। लेकिन आत्मा की सुरक्षा की बात आये तो उसे धन और पत्नी दोनो का त्याग कर देना चाहिए।
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