0 Bookmarks 164 Reads0 Likes
केसरि से बरन सुबरन बरन जीत्यौ
बरनीं न जाइ अवरन बै गई।
कहत बिहारी सुठि सरस पयूष हू तैं,
उष हू तैं मीठै बैनन बितै गई।
भौंहिनि नचाइ मृदु मुसिकाइ दावभाव
चचंल चलाप चब चेरी चितै कै गई।
लीने कर बेली अलबेली सु अकेली तिय
जाबन कौं आई जिय जावन सौं दे गई।।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments