
0 Bookmarks 64 Reads0 Likes
बँसुरिआ मेरे बैर परी।
छिनहूँ रहन देति नहिं घर में, मेरी बुद्धि हरी।
बेनु-बंस की यह प्रभुताई बिधि हर सुमति छरी।
’हरीचंद’ मोहन बस कीनो, बिरहिन ताप करी॥
No posts
No posts
No posts
No posts
बँसुरिआ मेरे बैर परी।
छिनहूँ रहन देति नहिं घर में, मेरी बुद्धि हरी।
बेनु-बंस की यह प्रभुताई बिधि हर सुमति छरी।
’हरीचंद’ मोहन बस कीनो, बिरहिन ताप करी॥
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments