ख़ुदा रक्खे तुझे मेरी बुराई देखने वाले's image
2 min read

ख़ुदा रक्खे तुझे मेरी बुराई देखने वाले

Bekhud DehlviBekhud Dehlvi
0 Bookmarks 190 Reads0 Likes

ख़ुदा रक्खे तुझे मेरी बुराई देखने वाले

वफ़ादारी में तर्ज़-ए-बेवफ़ाई देखने वाले

सँभल अब नाला-ए-दिल की रसाई देखने वाले

क़यामत ढाएँगे रोज़-ए-जुदाई देखने वाले

तिरे ख़ंजर को भी तेरी तरह हसरत से तकते हैं

तिरी नाज़ुक कमर नाज़ुक कलाई देखने वाले

झिजक कर आईने में अक्स से अपने वो कहते हैं

यहाँ भी आ गए सूरत पराई देखने वाले

पलक झपकी कि दिल ग़ाएब बग़ल ख़ाली नज़र आई

तिरी नज़रों की देखेंगे सफ़ाई देखने वाले

इन्हीं आँखों से तू ने नेक-ओ-बद आलम का देखा है

इधर तो देख ऐ सारी ख़ुदाई देखने वाले

गिरे ग़श खा के जब मूसा कहा बर्क़-ए-तजल्ली ने

क़यामत तक न देगा वो दिखाई देखने वाले

मिरी मय्यत पे बन आई है उन की सब से कहते हैं

वफ़ादारों की देखें बेवफ़ाई देखने वाले

नज़र मिलती है पीछे पहले तनती हैं भंवें उन की

कहाँ तक देखे जाएँ कज-अदाई देखने वाले

मिटा इंकार तो हुज्जत ये निकली मुँह दिखाने में

कि पहले जम्अ कर दें रू-नुमाई देखने वाले

कहाँ तक रोएँ क़िस्मत के लिखे को बस उलट पर्दा

तुझे देखेंगे अब तेरी ख़ुदाई देखने वाले

कभी क़दमों में था अब उन के दिल में है जगह मेरी

मुझे देखें मुक़द्दर की रसाई देखने वाले

कोई इतना नहीं जो आ के पूछे हिज्र में 'बेख़ुद'

तिरा क्या हाल है रंज-ए-जुदाई देखने वाले

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts