साथ साथ अहल-ए-तमन्ना का वो मुज़्तर जाना's image
1 min read

साथ साथ अहल-ए-तमन्ना का वो मुज़्तर जाना

Bekhud BadayuniBekhud Badayuni
0 Bookmarks 78 Reads0 Likes

साथ साथ अहल-ए-तमन्ना का वो मुज़्तर जाना

अल्लाह अल्लाह तिरा बज़्म से उठ कर जाना

रहबरी कर के मिरी ख़िज़्र भी चक्कर में पड़े

अब उन्हें जल्वा-गह-ए-यार में अक्सर जाना

दाग़-ए-कम-हौसलगी दिल को गवारा न हुआ

वर्ना कुछ हिज्र में दुश्वार न था मर जाना

सादगी से ये गुमाँ है कि बस अब रहम किया

मुतमइन हूँ कि मुझे आप ने मुज़्तर जाना

नश्शे में भी तिरे 'बेख़ुद' की तअ'ल्ली न गई

बादा-ए-होश-रुबा को मय-ए-कौसर जाना

 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts