हर एक हर्फ़-ए-आरज़ू को दास्ताँ किये हुए's image
1 min read

हर एक हर्फ़-ए-आरज़ू को दास्ताँ किये हुए

Ada JafriAda Jafri
0 Bookmarks 96 Reads0 Likes

हर एक हर्फ़-ए-आरज़ू को दास्ताँ किये हुए
ज़माना हो गया है उन को महमाँ किये हुए

सुरूर-ए-ऐश तल्ख़ि-ए-हयात ने भुला दिया
दिल-ए-हज़ीं है बेकसी को हिज्र-ए-जाँ किये हुए

कली कली को गुलिस्ताँ किये हुए वो आयेंगे
वो आयेंगे कली कली को गुलिस्ताँ किये हुए

सुकून-ए-दिल की राहतों को उन से माँग लूँ
सुकून-ए-दिल की राहतों को बेकराँ किये हुए

वो आयेंगे तो आयेंगे जुनून-ए-शौक़ उभारने
वो जायेंगे तो जायेंगे तबाहियाँ किये हुए

मैं उन की भी निगाह से छुपा के उन को देख लूँ
कि उन से भी है आज रश्क बदगुमाँ किये हुए

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts