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ख़ैरात सिर्फ इतनी मिली है हयात से

Abdul Hameed AdamAbdul Hameed Adam
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ख़ैरात सिर्फ इतनी मिली है हयात से
पानी की बूँद जैसे अता हो फ़ुरात से

शबनम इसी जुनूँ में अज़ल से है सीना-कूब
ख़ुर्शीद किस मक़ाम पे मिलता है रात से

नागाह इश्क़ वक़्त से आगे निकल गया
अंदाज़ा कर रही है ख़िरद वाक़िआत से

सू-ए-अदब न ठहरे तो दें कोई मशवरा
हम मुतमइन नहीं हैं तेरी काएनात से

साकित रहें तो हम ही ठहरते हैं बा-क़ुसूर
बोलें तो बात बढ़ती है छोटी सी बात से

आसाँ-पसंदियों से इजाज़त तलब करो
रस्ता भरा हुआ है 'अदम' मुश्किलात से.

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