
0 Bookmarks 88 Reads0 Likes
ऐ मैगुसारों सवेरे सवेरे
बड़ी रोशनी बख़्शते हैं नज़र को
ख़राबात के गिर्द फेरे पे फेरे
तेरे गेसूओं के मुक़द्दस अँधेरे
किसी दिन इधर से गुज़र कर तो देखो
बड़ी रौनक़ें हैं फ़क़ीरों के डेरे
ग़म-ए-ज़िन्दगी को 'अदम' साथ लेकर
कहाँ जा रहे हो सवेरे सवेरे
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments